गगन, दीप और पिता


दो भाइयों की कहानी, जिसे उनके पिता ने बताया कि उनके रिश्तों में आई दरार को कैसे भरा जा सकता है।
दिल्ली में दो भाई गगन और दीप ने मिलकर एक आईटी कंपनी खोली। गगन मार्केटिंग में तेज था, वही दीप सॉफ्टवेयर बनाने में माहिर था। दीप ने एक सॉफ्टवेयर बनाया, जो लोगों के घर बैठे फायदा पहुंचा सकता था। लेकिन दीप को यह समझ नहीं आ रहा था कि वह सॉफ्टवेयर लोगों तक पहुंचाया कैसे जाएं और और किस तरह बेचा जाए।
मार्केटिंग में माहिर गगन ने इस काम के लिए अपनी सारी महिला दोस्तों की मदद से किटी पार्टियों में उस सॉफ्टवेयर का डेमो दिया। सॉफ्टवेयर काफी चलने लगा और महिलाओं को काफी फायदा होने लगा। यह तरकीब काम करते देखकर दोनों भाइयों ने अपनी कंपनी शुरू कर ली और सॉफ्टवेयर घर-घर तक पहुंचाने लगे। कुछ दिनों तक कंपनी बहुत अच्छी चली, फिर बाजार में उस जैसे और सॉफ्टवेयर भी आने लगे। नतीजन गगन और दीप के सॉफ्टवेयर की सेल होने लगी और धंधा मंदा होने लगा। कुछ दिनों के बाद गगन और दीप के बीच झगड़े होने लगे। अंततः कंपनी बंद हो गई और दोनों भाइयों में काफी दूरीयाँ आ गई। दोनों नौकरी की तलाश में लग गए। कई दिन गुजर गए, पर किसी को नौकरी नहीं मिली। एक दिन गांव से उनके पिता जी मिलने शहर आए। सारी कहानी सुनकर वह बोले, बेटा लोहे को अगर कुछ दिन तक पानी में रख दो, तो उसमें जंग लग जाता है। जंग साफ कर लो, तो तुम दोनों फिर से सफल बन जाओगे। गगन और दीप, दोनों हैरान होकर पिताजी की तरफ देख रहे थे। पिताजी बोले, दीप का सॉफ्टवेयर मार्केटिंग के बिना और गगन की मार्केटिंग सॉफ्टवेयर के बिना अधूरी है। सॉफ्टवेयर बनाने और उसे अपडेट रखने में मार्केटिंग का बड़ा हाथ है, और मार्केटिंग में सॉफ्टवेयर में निरंतर अपडेशन का। यानी अगर तुम दोनों एक दूसरे की मदद नहीं करोगे, तो आगे नहीं बढ़ पाओगे और दोनों के करियर पर जंग लग जाएगा। तुम दोनों की ताकत तुम्ही दोनों में छिपी हुई है। अगर तुम इस ताकत को पहचान लो, तो सफल हो जाओगे। 
निरंतर बदलाव और बेहतरी ही सफलता का मूलमंत्र है।
Source- Newspaper Amar Ujala Page no.12 (Pravah), Date: 08th Dec, 2017

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