संतोष, बंजी जम्पिंग और लेक्चर
संतोष की कहानी, जिसे प्रोफ़ेसर मीना ने बताया कि वह कई लोगों को जरूरी बातें सिखा सकता है।
संतोष पहली बार किसी कॉलेज में लेक्चर देने जा रहा था। जब संतोष को पता चला कि उसकी इस क्लास में उससे दोगुनी उम्र के लोग भी होंगे, तो ऐसा लगा जैसे संतोष के पैरों तले की जमीन खिसक गई। वह बोला, मैं उन लोगों के सवालों का जवाब कैसे दूंगा? मैं तो इतना अनुभवी भी नहीं। प्रोफ़ेसर मीना कालेज में डीन थीं। वह संतोष से बोली, क्या तुमने कभी बंजी जंपिंग की है। वही, जिसमें एक ऊंची इमारत से लोग छलांग लगा देते हैं।
संतोष बोला, छलांग तो नहीं लगाई है, लेकिन इसके बारे में सुना जरूर है। प्रोफेसर मीना बोली, बंजी जंपिंग की खासियत यह होती है कि उसमें लोगों के पैर एक पतली-सी रस्सी से बांध दिए जाते हैं। जब वह किसी ऊंची इमारत से छलांग लगाते हैं, तो ऐसा लगता है, जैसे सचमुच, बिना किसी सहायता के छलांग लगा रहे हों। जैसे-जैसे नीचे गिरते हैं, लगता है प्राण निकल रहे हैं। लेकिन फिर नीचे पहुंचने से कुछ पल पहले ही वह पतली-सी रस्सी हमें ऊपर खींच लेती है।
कोई भी, कितनी भी उम्र का हो, कितना भी वजन हो, वह पतली रस्सी सबकी जान बचा लेती है। और यह अनुभव जिंदगी भर याद रह जाता है। प्रोफेसर बोली, तुम सोच रहे होंगे कि मैं यह सब तुम्हें क्यों सुना रही हूँ। जो लोग तुम्हारा क्लास करने आने वाले हैं, उन्हें जिंदगी में कुछ करना है। लेकिन उनको जो करना है, उसके लिए उन्हें सहारे की जरूरत है। रस्सी का वजन चाहे इंसानों जितना न हो, लेकिन उसमें इंसानों का वजन उठाने की खासियत होती है। ठीक उसी तरह से जैसे तुम्हारा अनुभव शायद उनके जैसा न हो, लेकिन जो तुम उन्हें सिखा सकते हो, उन्हें उसकी जरुरत है। तुम्हारा ज्ञान उन्हें ऊपर उठाने में मदद कर सकता है। प्रोफेसर मीना की बात सुनकर जब संतोष अपनी क्लास में पहुंचा, तो उसने पाया, उम्र सच में सिर्फ देखने का नजरिया है। जो भी आप से ज्ञान ले सकता है, वह आपका छात्र बन सकता है, और जो ज्ञान दे वह शिक्षक।
कोई भी, कितनी भी उम्र का हो, कितना भी वजन हो, वह पतली रस्सी सबकी जान बचा लेती है। और यह अनुभव जिंदगी भर याद रह जाता है। प्रोफेसर बोली, तुम सोच रहे होंगे कि मैं यह सब तुम्हें क्यों सुना रही हूँ। जो लोग तुम्हारा क्लास करने आने वाले हैं, उन्हें जिंदगी में कुछ करना है। लेकिन उनको जो करना है, उसके लिए उन्हें सहारे की जरूरत है। रस्सी का वजन चाहे इंसानों जितना न हो, लेकिन उसमें इंसानों का वजन उठाने की खासियत होती है। ठीक उसी तरह से जैसे तुम्हारा अनुभव शायद उनके जैसा न हो, लेकिन जो तुम उन्हें सिखा सकते हो, उन्हें उसकी जरुरत है। तुम्हारा ज्ञान उन्हें ऊपर उठाने में मदद कर सकता है। प्रोफेसर मीना की बात सुनकर जब संतोष अपनी क्लास में पहुंचा, तो उसने पाया, उम्र सच में सिर्फ देखने का नजरिया है। जो भी आप से ज्ञान ले सकता है, वह आपका छात्र बन सकता है, और जो ज्ञान दे वह शिक्षक।
उम्र चाहे जो भी हो, ज्ञान फिर भी लिया जा सकता है।
Source- Newspaper Amar Ujala, Page no.12 ( Pravah), Date: 14th Dec, 2017
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