मेहुल, अक्षय और नौकरी

अक्षय की कहानी, जिसे अपने घमंड के कारण अच्छे और बुरे का फर्क बहुत देर से समझ में आया।
मेहुल और अच्छे स्कूल के समय से दोस्त थे। मेहुल की सोच सुलझी हुई थी। वही अक्षय थोड़ा घमंडी स्वभाव का था। दोनों ने एक साथ पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद मेहुल ने कंप्यूटर हार्डवेयर का अपना काम शुरू कर दिया और अक्षय आईटी कंपनी में नौकरी करने लगा।
मेहुल अक्षय को बहुत मानता था। वह हमेशा उससे कहता था, मेरे बिजनेस पार्टनर बन जाओ। हार्डवेयर का काम तो है ही, हम सॉफ्टवेयर भी शुरू कर सकते हैं। लेकिन अक्षय को हमेशा लगता, यह मुझे फंसाने की कोशिश कर रहा है। मेरी अच्छी नौकरी से जलता है और मेरी मेहनत से अमीर बनना चाहता है। मेहुल का काम धीरे-धीरे बढ़ता गया। उसने बाहर से इंजीनियर लाकर सॉफ्टवेयर का काम भी शुरु कर दिया।
वह मन से काम करता था और अपनी अनोखी सोच से कुछ ना कुछ नया बनाने में लगा रहता था। वही अक्षय अपनी नौकरी में जी जान लगाता था और कंपनी का बहुत प्यारा कर्मचारी था। जैसे-जैसे समय गुजरता गया, मेहुल को लगने लगा कि वह अकेले काम संभाल नहीं पाएगा। उसे एक भरोसेमंद साथी की जरूरत है, जो काम में उसकी मदद कर सकें। उसने फिर अक्षय से गुजारिश की, लेकिन अक्षय को कभी मेहुल पर विश्वास नहीं हो पाता था। उसे यह भी लगता था कि नौकरी में उसकी तरक्की ज्यादा होगी। पर कुछ समय बाद अक्षय की कंपनी को नुकसान होने लगा और मालिक ने नुकसान का इल्जाम लगाकर कर उसे नौकरी से निकाल दिया। मेहुल ने अक्षय की स्थिति देख एक बार फिर अपनी कंपनी में उसे पार्टनर बनने को आमंत्रित किया। लेकिन अक्षय ने फिर इनकार कर दिया। इस बीच अक्षय की मां की तबीयत अचानक खराब हो गई। अक्षय के पास पैसे खत्म होने लगे। वह एकदम टूट गया। तभी किसी ने उसे बताया कि उसके मां के इलाज का सारा भुगतान पहले ही मेहुल ने कर दिया है। अक्षय को एहसास हो गया कि वह कितना गलत था।
अक्सर अपने अहंकार के कारण हम सामने वाले की भलमनसाहत को समझ नहीं पाते।
Source- Newspaper Amar Ujala, Page no.11 (Pravah), Date: 11th Dec, 2017

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