बच्चे, मास्टर जी और चॉकलेट

एक शिक्षक की कहानी, जिन्होंने चॉकलेट बांटकर बच्चों को लालच से बचने का पाठ सिखाया।
श्रेयस कक्षा छह में पढ़ता था। एक दिन मास्टर साहब छात्रों को कुछ समझाते हुए बोले, इसलिए तो कहता हूं, लालच बुरी बला है। श्रेयस मास्टर जी से बोला, मास्टर जी, लेकिन हम तो बच्चे हैं। हम थोड़े लालच करते हैं। मास्टर जी बोले। लालच की कोई उमर थोड़े होती है। श्रेयस बोला, लेकिन हमें तो पता भी नहीं, लालच होती क्या है। फिर हम लालच कैसे कर सकते हैं। मास्टर जी बोले, अच्छा यह सब छोड़ो, आज मैं सभी बच्चों के लिए चॉकलेट ले कर आया हूं।
अब तुम बस इतना-सा काम कर दो कि सभी बच्चों में इन चॉकलेट को बांट दो। और जो चॉकलेट बच गई, वे सब तुम्हारी। लेकिन शर्त सिर्फ इतनी है कि तुम अपनी चाकलेट तभी लोगे, जब बाकी सारे बच्चों को चॉकलेट मिल जाएगी। श्रेयस खुश हो गया कि आज तो उसको ढेर सारी चॉकलेट मिलने वाली है, क्योंकि क्लास में बच्चे सिर्फ बीस थे और चॉकलेट तो पचास से भी ज्यादा थी। श्रेयस ने बच्चों में चॉकलेट बांटना शुरु किया।
उसने देखा कि सभी बच्चे दो या तीन चॉकलेट से कम नहीं उठा रहे हैं। उसे कुछ देर में ही डर लगने लगा कि उसके लिए चॉकलेट बचेगा या नहीं। अतः उसने अपने खातिर चॉकलेट बचाने के लिए हर बच्चे को एक एक चॉकलेट देना शुरु कर दिया। लेकिन हर बच्चा ज्यादा चॉकलेट मांग रहा था। श्रेयस ने सोचा, अब चाहे जो भी हो जाए, वह किसी को चॉकलेट नहीं देगा। सारे बच्चे उस पर झपट पड़े। तभी मास्टर साहब क्लास मे वापस लौट और पूरी घटना का विवरण सुना। मास्टर जी बोले, क्यों श्रेयस, तुमने तो कहा था कि तुम्हें लालच का पता भी नहीं। श्रेयस शर्मिंदा हो गया। मास्टर जी बोले, मुझे पता था कि कुछ ऐसा ही होने वाला है। इसलिए मैं दो पैकेट लेकर आया था। लेकिन मैं यह सबक आप सबको सिखाना चाहता था, क्योंकि असल जिंदगी आपको दूसरा मौका कभी नहीं देती। लालच से वह सब भी छिन जाता है, जो आपके पास पहले से कमाया हुआ होता है।
जो व्यक्ति लालच करता है, उसे अंत में अक्सर पर पराजय का सामना करना पड़ता है।
Source- Newspaper Amar Ujala, Page no.12 (Pravah), Date: 06th, Dec, 2017

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