औरत, तोता और पिंजड़ा

एक तोते की कहानी, जिसने अपनी चतुराई से एक दुष्ट महिला के चुंगल से मुक्ति पाई।
चंचल बहुत दुष्ट औरत थी। उसने एक तोता पाल रखा था। वह तोता बहुत अच्छा गाता था। चंचल दिन-रात उसका गाना सुनती रहती थी। पर तोता चंचल से परेशान हो गया था। वह पिंजरे से मुक्ति चाहता था। एक बार जब चंचल घर में नहीं थी, तो एक उल्लू तोता से मिलने आया।
तोते ने उल्लू से अपनी व्यथा सुनाई। उल्लू ने कहा, मैं तुम्हारी मदद तो नहीं कर सकता, पर मैं जंगल जा रहा हूं। यदि तुम्हारे परिवार वालों को कोई संदेश भेजना हो, तो मुझे बता दो। तोता बोला, उनसे कहना, मैं दिन-रात उन्हीं को याद करता रहता हूं। मैं जितने भी गाने गाता हूं, वे उन्हीं की याद में गाता हूं। जाने कब मैं उनको फिर देख पाऊंगा। उन सब के बिना मेरी जिंदगी अधूरी है। यह सुनकर उल्लू ने उड़ान भरी और जंगल पहुंचकर तोते के परिवार को तोते का संदेश सुनाया। तोते का संदेश सुनते हुए उल्लू बोला, अगर आप लोगों के मन में भी तोते के लिए कोई संदेश हो, तो मुझे बताइए।
मेरा मित्र उसे सुनकर बहुत खुश होगा। सारे तोते उल्लू की तरफ फटी आंखों से देख रहे थे। तभी तोते की मां चिल्लाई और पेड़ की डाल से उल्टे मुंह जमीन पर धड़ाम से गिर पड़ी। उल्लू भौंचक्का देखता रह गया। अपना काम पूरा कर वह जब वापस तोते के पास लौटा, तो पहुंचते ही तोते ने पूछा, क्या आप मेरे परिवार वालों से मिले? उन्होंने क्या कहा? उल्लू बड़ा उदास हो गया। उसने अपने प्यारे तोते को घटना की पूरी व्याख्या सुनाई। वह बोला, मैं बिल्कुल हैरत में हूं, तुम्हारा संदेश सुनकर तुम्हारी मां ने कैसे एकदम से अपने प्राण त्याग दिए। तोता जोर-जोर से हंसने लगा। उल्लू वहां से उड़ गया। कुछ देर में जब चंचल वापस घर लौटी तो तोता एकदम से चिल्लाया और धड़ाम से नीचे गिर गया। ठीक उसी तरह जैसे उसकी मां गिरी थी। चंचल तोते की हालत देख घबरा गई। उसने पिंजड़ा खोलकर तोते को अपने हाथों में ले लिया। जैसे ही उसने तोते को बाहर निकाला, तोता फुर्र से उड़ गया।
जो गलत करता है, उसके साथ भी गलत ही होता है।
Source- Newspaper Amar Ujala, Page no.12 (Pravah), Date: 05th Dec, 2017

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