इस बार मखमल

एक दर्जी कपड़े काटते समय बहुत होशियारी से कपड़ा चुरा लिया करता था। एक बार उसने सपना देखा कि शहर में उसे वस्त्रहीन स्थिति में घुमाया जा रहा है। उसके सिर पर कपड़ो की खूब सारी चिन्दियों की झंडी बधी हुई है। उसने साथ चल रहे यमदूत से पूछा कि ये सब क्या है? यमदूत ने कहा कि तुम ने आज तक जितनी बार लोगों का कपड़ा चोरी किया है, ये उनकी झंडी है।
इसलिए सजा के तौर पर इन्हें तुम्हारे सिर पर बाँधा जा रहा है। दर्जी की नींद खुली और अचानक उठकर बैठ गया। फिर वह उस सपने के बारे में सोचने लगा, जो उसने देखा था। वह बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने प्रण किया कि वह अब से कपड़े की चोरी नहीं करेगा। सुबह जब दुकान पहुंचा, तो उसने अपने चेले को ताकीद कर दी की कटिंग करते समय जब भी मैं कैंची तिरछी करूं, तो तुम बोलना 'झंडी'।
इसके बाद जब भी वह कैंची तिरछी करता, चेला जोर-जोर से चिल्लाने लगता, 'उस्ताद झंडी! उस्ताद झंडी!' और दर्जी की कैंची सीधी हो जाती।
एक बार एक ग्राहक मखमल का कपड़ा लाया, तो उससे रहा नहीं गया और कैंची तिरछी हो गई। यह देख चेला चिल्लाने लगा, 'उस्ताद झंडी! उस्ताद झंडी!' इस पर दर्जी ने उसे तुरंत डपट दिया, 'चुप कर! उस झंडी में मखमल कहा था? हर वक्त मत टोका कर मुझे।'

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